इल्तुतमिश 1210 से 1236 :-
इल्तुतमिश ही दिल्ली सल्तनत का वास्तविक संस्थापक था वस्तुतः दिल्ली का पहला सुल्तान इल्तुतमिश था। क्योंकि 1229 में उसे बगदाद से मान्यता प्राप्त हुई
इल्तुतमिश ने राजधानी लाहौर से दिल्ली स्थानांतरित की तराइन की तीसरी लड़ाई 1215 इल्तुतमिश और यालदोज के बीच हुई जिसमें यालदोज पराजित हुआ
इल्तुतमिश ने ( तुर्क - ए - चहलगानी ) नामक संगठन की स्थापना की जिसमें उसके विश्वसनीय लोग थे।
उसने इक्ता व्यवस्था को संगठित रूप दिया (प्रारंभ गोरी द्वारा)
मुद्रा व्यवस्था में सुधार करते हुए चांदी का टप्पा एवं तांबे का चित्र चलाया 'शुद्ध अरबी प्रकार' के सिक्के चलाएं।
दरबार में 'न्याय का घंटा' लगवाया।
रजिया को अपना अधिकारी नियुक्त किया था।
चंगेज खान से बचने के लिए इल्तुतमिश ने ख्वारिज्म के शासक जलालुद्दीन मकबरानी को अपने यहां शरण नहीं दी।
इल्तुतमिश को 'गुलामो का गुलाम' कहा जाता है।